उत्तराखंड

यूकेड़ी ने यमकेश्वर से फिर क्षेत्रीय प्रत्याशी शांति प्रसाद भट्ट पर जताया भरोसा, 2017 से निभायी मजबूत विपक्ष की भूमिका

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यमकेश्वर। यूकेडी ने पिछले सप्ताह 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं, जिनमें से यमकेश्वर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी यूकेडी के प्रवक्ता शांति भट्ट पर भरोसा जताकर प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अभी तक यमकेश्वर से पार्टीयों की तरफ से वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के सबसे पहले घोषित प्रत्याशी के साथ-साथ क्षेत्रीय मूल निवासी भी हैं।
शांति प्रसाद भट्ट यमकेश्वर क्षेत्र के सिंदुड़ी गॉव के मूल निवासी एवं राज्य आंदोलनकारी हैं। वर्तमान में वह यूकेड़ी के केन्द्रीय प्रवक्ता भी हैं। अपनी उत्तराखण्डीयत एवं मुद्दों पर बात करने वाले शांति प्रसाद भट्ट विपक्ष की मजबूत भूमिका निभाते हैं। 2017 में भी यमकेश्वर विधानसभा से यूकेड़ी से चुनाव लड़ा, लेकिन यमकेश्वर का जनमानस उनकी मनोंभावों और क्षेत्रीयता को नहीं समझ पाया। पुनः 2019 में लोकसभा का चुनाव लडा लेकिन मोदी लहर में वह फिसड्डी साबित हुए। शांति प्रसाद भट्ट को तेज तर्रार एवं मुख्य तथा ओजस्वी वक्ता हैं। 2017 से पिछले पॉच सालों में सबसे मजबूत विपक्ष की भूमिका में शांति प्रसाद भट्ट नजर आये, चाहे वह कोठार सड़क का प्रकरण रहा हो या फिर सिंगठयाली पुल का मुद्दा। उनका मजबूत पक्ष यह है कि वह उत्तराखण्ड के लिए लड़ते दिखाई देते हैं, शुरू से ही यूकेड़ी से जुड़े हैं। उनके पास ज्ञान एवं नीति दोनों हैं, लेकिन उनका कमजोर पक्ष यह है कि वह यमकेश्वर क्षेत्र के मुद्दों को आम जनमानस तक पहुॅचाने में सफल नहीं हो पाये, या फिर जनता ने उन्हें मनोंभावों को नहीं समझा है। यमकेश्वर के डांडामण्डल क्षेत्र को जोड़ने वाली कौड़िया किमसार मोटर मार्ग का संघर्ष और उसे मुकाम तक पहुॅचाने में यूकेड़ी का अहम योगदान रहा है।

यमकेश्वर विधानसभा सीट की बात की जाय तो बीजेपी बर्चस्व वाली इस सीट पर यूकेड़ी वोट बैंक को साधने में कमजोर साबित हुई, 2007 में एवं 2012 में डॉ शक्तिशैल कपरवान ने यमकेश्वर से चुनाव लड़ा और 3500 और 2800 के करीब मत प्राप्त कर पाये उसके बाद यहॉ से ऑकड़ा सैकड़े में सिमट कर रह गया। ऐसें में इस बार शांति प्रसाद भट्ट को अपने यूकेड़ी के मुद्दों को लेकर जमीन में उतरना होगा, प्रचार प्रसार एवं आम जनमानस के बीच जाकर अपनी बात रखनी होगी। क्षेत्रीय निवासियों का कहना है कि हम दिल से यूकेड़ी के साथ हैं,लेकिन यूकेडी में कमजोर नेतृत्व के कारण उस पर भरोसा नहीं जताया जा सकता है, ऐसे में शांति प्रसाद भट्ट को जनता के बीच भरोसा बरकरार रखते हुए उनके टूटते विश्वास और भरोसे को पुनः जोड़ना होगा और क्षेत्रीय उम्मीदवार की ताकत दिखानी होगी। यमकेश्वर के मतदाताओं ने अभी तक दूर के ढोल सुहाने होते हैं, और घर का जोगी जुगना आन गॉव का सिद्ध वाली कहावत को मतदान में चरितार्थ की है, जबकि शांति प्रसाद भट्ट को विश्वास दिलाना होगा कि दूर की पांग से नजदीक की डांग भली।

अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार शांति प्रसाद भट्ट किस तरह से बीजेपी के मजबूत गढ में सेंध मारने के लिए कौन सी रणनीति तैयार कर जनता को यूकेड़ी के पक्ष में मतदान करने के लिए तैयार करते हैं।



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