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2022 के बजट सत्र पर टिकी डिफेंस सेक्‍टर की निगाहें

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दिल्ली। आज वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश होने वाले बजट 2022  पूरे देश की निगाहें लगी है। वहीं रक्षा जानकारों और इससे जुड़े लोगों की निगाहें खासतौर पर डिफेंस सेक्‍टर पर लगी हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान रक्षा क्षेत्र को 4.78 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। इस बार इस क्षेत्र को कितने बजट का आवंटन होता है इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा। आपको बता दें कि पिछले वर्ष जो बजट रक्षा क्षेत्र के लिए दिया गया था उसमें वर्ष 2020-21 की तुलना में करीब छह फीसद का इजाफा किया गया था। हालांकि रक्षा जानकारों की राय में ये बजट काफी कम था।

मेजर जनरल (रिटायर्ड) पीके सहगल का कहना है कि चीन और पाकिस्‍तान को देखते हुए देश का रक्षा बजट जीडीपी का करीब 20-22 फीसद तक होना चाहिए, जो कि फिलहाल दो फीसद से भी कम है। उनके मुताबिक देश की तीनों सेनाओं के पास जो हथियार, लड़ाकू विमान, जहाज आदि हैं वो बेहद पुराने हो चुके हैं। वहीं एयरफोर्स के पास कई स्‍क्‍वाड्रन की कमी है। इसी तरह से देश की नौसेना को भी अत्‍याधुनिक जहाजों और हथियारों की जरूरत है। देश की थल सेना को भी अपने जवानों को बेहतर हथियार और दूसरी चीजों की कमी है। ये जरूरतें तभी पूरी की जा सकती हैं जब रक्षा क्षेत्र को बड़ी धनराशि काआव‍ंटन किया जाए उनका कहना है कि मोदी सरकार जब से सत्‍ता में आई है तब से कई डिफेंस डील विभिन्‍न देशों के साथ हुई हैं और हथियार भी खरीदे गए हैं। लेकिन इनको अभी और बढ़ाने की सख्‍त जरूरत है। 

मेजर जनरल (रिटायर्ड) सहगल का कहना है कि देश की अधिकतर फौज देश की उत्‍तर से पूर्व की सीमा पर मौजूद हैं। अकेले सियाचिन में ही तैनात जवानों पर एक दिन का खर्च करोड़ों रुपये का है। वहीं देश के सामने चीन और पाकिस्‍तान हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रहे हैं। चीन का रक्षा बजट हमारे से कहीं ज्‍यादा है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वो रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और निर्माण के लिए बड़ा बजट पेश करे, जिससे देश की सामरिक शक्ति को बढ़ावा मिल सके और देश पहले से अधिक मजबूत हो सके।

बता दें की बजट सत्र का शुभारम्भ कल यानी 31 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोंधन के बाद शुरू हुआ। जिसके बाद आज आज11 बजे से वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी 



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