भूपेंद्र चौधरी को बनाया गया उत्तर प्रदेश भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष
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यूपी। आखिरकार उत्तर प्रदेश के बहुप्रतीक्षित भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और पश्चिम में जाटों के बड़े नेता भूपेंद्र सिंह चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उत्तर प्रदेश में ना सिर्फ अपने राज्य बल्कि हरियाणा और राजस्थान के चुनावी समीकरणों को भी बखूबी साधा है। राजनीतिक गलियारों में नए मनोनयन से स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी अब पिछड़ों और जाटों की राजनीति से न सिर्फ 2024 का लोकसभा चुनाव साध रही है, बल्कि आने वाले दिनों में कई राज्यों के चुनावी समीकरण भी उत्तर प्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया से से सधने वाले हैं।
बीते काफी दिनों से राजनीतिक गलियारों में उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के अध्यक्ष के अलग-अलग नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन पार्टी ने जो नाम तय किया है वह उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी का है। चौधरी संगठन के न सिर्फ पुराने कार्यकर्ता हैं बल्कि जमीनी स्तर के बड़े नेता माने जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम के बड़े जाट नेता से न सिर्फ उत्तर प्रदेश का पश्चिमी इलाका राजनैतिक रूप से भाजपा के लिए मजबूत गढ़ बनेगा बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्र पिछड़ी जाति के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से सारे राजनीतिक समीकरण साधे जाएंगे। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक जीडी सिंह कहते है कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से पश्चिम के एक बड़े जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है वह एक साथ कई राज्यों के लिए भी राजनीतिक रूप से बड़ा कदम माना जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रेमशंकर कहते हैं कि भूपेंद्र सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने का एक बड़ा मतलब यह भी है कि जाटों के बड़े आंदोलन के असर को बहुत हद तक निष्क्रिय कर दिया जाए। प्रेम कहते हैं कि अगर बीते कुछ समय के लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के चुनावी अभियान पर आप नजर डालें तो पाएंगे सभी चुनावी रैलियां, दौरे और चुनावी अभियान पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही शुरू किए गए। क्योंकि बीते कुछ समय से जाटों का आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही आगे बढ़ रहा था। ऐसे में जाट नेता खासतौर से जमीनी जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला भारतीय जनता पार्टी के निश्चित तौर पर हित में माना जा रहा है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एसएन तोमर कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने इस दांव से सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान और हरियाणा की राजनीति पर भी बड़े निशाने साधे हैं। वह कहते हैं कि भाजपा ने जिस तरीके से उपराष्ट्रपति पद पर एक बड़े जाट कद्दावर नेता को अपना प्रत्याशी बनाया था। उसी से अंदाजा लगाया जाने लगा था कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले दिनों में जाटलैंड से निशाने लगाकर चुनावी राज्यों को साधने की तैयारी करेगी। नए प्रदेश अध्यक्ष से यह संदेश और स्पष्ट हो गया है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्वाचल और मध्य क्षेत्र का बड़ा राजनीतिक दखल माना जाता रहा है। ऐसे में पश्चिम से नए जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का समूचे राज्य पर क्या असर पड़ेगा, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की अपनी अलग-अलग राय है। भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यह बात बिल्कुल सही है कि उत्तर प्रदेश में मध्य और पूर्वांचल राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। लेकिन भाजपा सरकार में इस वक्त इन इलाकों का अच्छा खासा और मजबूत प्रतिनिधित्व है। पूर्वांचल से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते हैं। जबकि पूर्वांचल से ही बड़े पिछड़े नेता और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या भी आते हैं। इसके अलावा मध्य क्षेत्र में आने वाली उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विधायक और बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पहचान रखने वाले उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक भी उत्तर प्रदेश सरकार में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला मानते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका चुनावों में होती है। इस लिहाज से चर्चा हो रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता को बनाकर उत्तर प्रदेश के दूसरे जातिगत समीकरणों को कैसे साधा जाए। शुक्ला कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्रियों से लेकर संगठन में बड़े जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों कि जब सूची तैयार करेंगे तो आपको लगेगा कि जातिगत समीकरणों के लिहाज से उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मजबूत ताना-बाना बुन रखा है। वह कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने बीते लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी नई राजनीतिक फसल को आगे बढ़ाने का बड़ा काम किया है। खासतौर से जो कभी बसपा, सपा और कांग्रेस की जमीन हुआ करती थी वहां पर भारतीय जनता पार्टी ने जमीनी स्तर पर अपने नेता तैयार किए हैं। क्योंकि बीते दौर में जाटों का बड़ा आंदोलन भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हुआ था ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश बड़े जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बहुत हद तक माहौल अपने पक्ष में करने का एक बड़ा प्रयास भारतीय जनता पार्टी ने किया है।
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला कहते हैं कि जाट भी पिछड़ी जाति में शुमार किए जाते हैं। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी ने ना सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटलैंड बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के बड़े पिछड़े समुदाय को भी इस माध्यम से जोड़ा है। प्रेमशंकर कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में नए संगठन मंत्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं और नए प्रदेश अध्यक्ष भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में होने वाले चुनावों के दौरान यह राजनैतिक जोड़ी भी संगठन को एक बड़ी मदद दिलाने की दिशा में काम करेगी।
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