योगी-धामी मिलकर सुलझाएंग परिसंपत्तियों का विवाद
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देहरादून। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर जल्द ही दोनों प्रदेशों के बीच मुख्यमंत्री स्तर पर वार्ता होने वाली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसके लिए अफसरों के साथ 17 नवंबर को दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ जाएंगे और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे । उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के आवंटन का मसला अब तक हल नहीं हो पाया है। इनमें से कुछ मामले जहां कोर्ट में लंबित हैं वहीं, कुछ को लेकर दोनों राज्यों के बीच आपस में बातचीत चल रही है। अब इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री धामी व उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच बात होगी। उत्तराखंड के सचिव पुनर्गठन डॉ.रंजीत सिन्हा इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अफसरों के समक्ष एक प्रेजेंटेशन भी रखेंगे।
साढ़े पांच हजार हेक्टेयर जमीन पर होना है फैसला
उत्तराखंड में हरिद्वार में अकेले साढ़े पांच हजार हेक्टेयर जमीन पर फैसला होना है। इस जमीन पर अभी भी यूपी का कब्जा है। इसमें लगभग 600 हेक्टेयर जमीन कुंभ की है। राज्य सरकार कुंभ क्षेत्र की पूरी जमीन को लेने के पक्ष में है, जबकि जिले के अन्य क्षेत्रों की जमीन पर भी अपना ्नरुख साफ किया है और कहा कि यूपी इसमें से जितनी जमीन चाहता है, उसे ले ले और बाकी उत्तराखंड के सुपुर्द कर दे।
अफसरों के बीच दो साल पहले बनी थी सहमति
17 अगस्त,19 में उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों की मौजूदगी में आला अफसरों की बैठक में ज्यादातर मामलों पर सहमति बन गई थी। तत्कालीन सीएस उत्पल कुमार सिंह ने बाकायदा यह सहमति पत्र कैबिनेट में भी रखवाया था। उत्तराखंड ने यूपी को जब इसे लागू करने को पत्र भेजा, तब तक यूपी के तत्कालीन सीएस रिटायर हो गए व नए मुख्य सचिव ने समझौते को मानने से मना कर दिया।
आवास विकास की संपत्ति का लाभ भी यूपी को मिल रहा
उत्तराखंड में आवास विकास परिषद की देहरादून व ऊधमसिंहनगर में कालोनियों हैं। यूपी इन्हें प्राइवेट लोगों को बेच चुका है और अब तक किश्तों का भुगतान उसी को हो रहा है। यूपी पूर्व में उत्तराखंड को किस्त लेने की सहमति दे चुका था, पर यह समझौता भी लागू नहीं हो पाया।
परिवहन की भी 500 करोड़ रुपये की संपत्ति पर विवाद
परिवहन विभाग की लगभग 500 करोड़ रुपये की संपत्ति बंटवारे का विवाद भी नहीं निपटा है। दिल्ली में लीज पर ली गई भूमि पर यूपी ने आलीशान बिल्डिंग खड़ी कर दी है, जबकि उत्तराखंड को नहीं बनाने दे रहा है। इसी तरह लखनऊ में करोड़ों की संपत्ति का भी बंटवारा नहीं हुआ है।
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