जानवरों के शरीर में जाकर बदला कोरोना? वैज्ञानिकों ने बताया कैसे बना ओमिक्रॉन
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न्यूयॉर्क। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। भारत में भी इसकी दस्तक शुरू हो गई है। इस बीच अमेरिका की एक संस्था की रिसर्च सामने आई है। जिसमें ये खुलासा हुआ है कि जब कोरोना संक्रमित इंसान जानवरों के संपर्क में आते हैं और संक्रमित जानवर किसी स्वस्थ इंसान के संपर्क में आ जाए तो नए तरह के वैरिएंट का जन्म हो सकता है। इसे रिवर्स जूनोसिस कहते हैं। यानि सार्स-कोव-2 जैसा प्रकार उत्पन्न हो सकता है। बता दें कि ओमिक्रॉन सार्स-कोव-2 प्रकार का वैरिएंट है। अमेरिका के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज में रिसर्च टीम ने बिल्लियों, कुत्तों, फेरेट्स और हैम्स्टर्स में संक्रमण के बाद कोरोना वायरस में होने वाले उत्परिवर्तन प्रकारों का विश्लेषण किया। इसमें विभिन्न प्रकार के जानवरों जैसे जंगली, चिडिय़ाघर और घरेलू जानवरों में रिसर्च की गई। रिसर्च के मुताबिक, यदि कोई जानवर कोरोना संक्रमित इंसान के संपर्क में आता है तो नए प्रकार के कोरोना वायरस वैरिएंट का जन्म हो सकता है। इस रिसर्च से इस बात को बल मिला है कि कहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट का जन्म भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा तो नहीं ?
अमेरिका में माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और पैथोलॉजी विभाग में डॉक्टरेट की छात्रा लारा बशोर के मुताबिक, आम तौर पर कई प्रकार के वायरस जानवरों की अन्य प्रजातियों को संक्रमित नहीं कर सकते हैं, वे बहुत विशिष्ट हो गए हैं। लेकिन कोरोना फैमिली का सार्स-कोव-2 इससे अलग है। वहीं, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में वन्यजीव रोग पारिस्थितिकी के सहायक प्रोफेसर एरिक गग्ने कहती हैं, मनुष्यों के आस-पास रहने वाले जानवरों के लिए ये वायरस अधिक जोखिम वाला है, इसलिए इसने कोविड-19 फैमिली के विभिन्न वैरिएंट को उत्पन्न करने का अवसर दिया है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के खतरनाक वेरिएंट ओमिक्रॉन पर कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाले खुलासे किए थे। वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ओमिक्रॉन रोडेंट्स यानी चूहों जैसे जीव के जरिए इंसानों तक पहुंचा है। इस प्रक्रिया को रिवर्स जूनोसिस कहते हैं।
जूनोसिस और रिवर्स जूनोसिस में अंतर
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब जानवरों से इंसान तक कोई बीमारी पहुंचती तो इस प्रक्रिया हो जूनोसिस कहते हैं। वहीं, जब जानवरों से बीमारी अपना रूप बदलकर इंसानों में वापस आती है तो इसे रिवर्स जूनोसिस कहते हैं। यही दावा वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में किया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि जितना ज्यादा म्यूटेशन इस वैरिएंट में पाया गया है उतना कोरोना के दूसरे वैरिएंट में नहीं देखा गया, क्योंकि ओमिक्रॉन में 32 म्यूटेशन हैं। हालांकि अभी भी पुख्तातौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि ओमिक्रॉन जानवरों से फैला या इंसानों में धीरे-धीरे विकसित हुआ।
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