डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ीं, एफबीआई ने पूर्व राष्ट्रपति के लग्जरी बंगले पर मारा छापा
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वाशिंगटन । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के घर एफबीआई ने छापा मारा है। खुद डोनाल्ड ट्रम्प ने इस रेड की पुष्टि की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान में बताया कि एफबीआई ने फ्लोरिडा के पाम बीच स्थित उनके मार-ए-लागो घर पर छापा मारा।
जांच एजेंसी के एजेंट ट्रंप के घर को घेरे हुए हैं और तलाशी ली जा रही है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा किया है, हालांकि एफबीआई ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। ट्रंप का यह निवास फ्लोरिडा में पाम बीच पर स्थित है।
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर जारी किए गए अपने एक वक्तव्य में कहा कि मेरे पॉम बीच स्थित खूबसूरत घर मार-ए-लीगो को एफबीआई ने कब्जे में ले लिया है। यहां की तलाशी ली जा रही है। यहां एफबीआई के एजेंट मौजूद हैं। मीडिया ने जब एफबीआई के प्रवक्ता से इस संबंध में और जानकारी के लिए संपर्क साधा तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पूर्व राष्ट्रपति ने यह नहीं बताया कि एफबीआई के एजेंट मार-ए-लागो में क्यों पहुंचे? उन्होंने कहा कि छापे का कोई नोटिस नहीं दिया गया था। छापामार टीम ने मेरी सेफ को भी तोड़ दिया है। ट्रंप ने कहा, ‘एफबीआई की यह कार्रवाई बदले की राजनीति है। यह अमेरिका के लिए बुरा वक्त है, जब जांच एजेंसी ने 45 वें राष्ट्रपति के घर पर छापा मारा है। अमेरिका में किसी पूर्व राष्ट्रपति के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। संबंधित जांच एजेंसियों की मदद करने व उनका सहयोग करने के बावजूद बगैर सूचना दिए मेरे घर पर छापा मारा गया है। यह अनावश्यक व अनुचित है।’
यह कार्रवाई ऐसे वक्त की गई है, जब जब 6 जनवरी मामले में चयन समिति ने हालिया सुनवाई में कहा था कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने बेकाबू भीड़ को रोकने में दखल नहीं देने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि उनके समर्थकों ने यूएस कैपिटल पर हमला किया था। उसके साथ बातचीत ट्रंप के करीबियों ने बताया कि यह कार्रवाई बिना किसी नोटिस के हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छापे के दौरान ट्रंप घर में मौजूद नहीं थे। वह अभी न्यूजर्सी में हैं।
एफबीआई के छापे से बुरी तरह भडक़े ट्रंप ने कहा ‘यह अभियोजन पक्ष का कदाचरण है और न्याय प्रणाली का शस्त्रीकरण है। यक कट्टरपंथी डेमोक्रेट्स का हमला है, जो हताश होकर मुझे 2024 का चुनाव लडऩे से रोकना चाहते हैं। हाल के चुनावों को देखते हुए वे इसमें
खासतौर से अडंगे डाल रहे हैं। आगामी मध्यावधि चुनाव में वे रिपब्लिकन और कंजरवेटिव को रोकने के लिए कुछ भी करेंगे।’
ट्रंप ने अमेरिका में भ्रष्टाचार अल्प विकसित (थर्ड वर्ल्ड) देशों के स्तर तक पहुंचने का आरोप लगाते हुए इस कार्रवाई की तुलना वाटरगेट कांड से कर दी। उन्होंने सवाल किया कि इस कार्रवाई और वाटरगेट में क्या अंतर है? वाटरगेट कांड के वक्त जांच एजेंसियों ने डेमोक्रेट नेशनल कमेटी पर छापेमारी की थी। बता दें, वाटरगेट कांड अमेरिकी इतिहास का बड़ा राजनीतिक स्कैंडल है। यह 1972 से 1974 तक अमेरिकी राष्ट्रपति रहे रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल के दौरान हुआ था और इसके चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
1969 के अमेरिकी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार रिचर्ड निक्सन अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। उनके कार्यकाल के शुरुआती दो-ढाई साल सब कुछ ठीक चला, लेकिन अंतिम साल में फिर राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी शुरू की। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी दल डेमोक्रेटिक पार्टी की चुनावी तैयारियों का पता लगाने के लिए सरकार की ताकत का उपयोग किया। इसके तहत उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की नेशनल कमेटी के वाटरगेट कॉम्प्लेक्स स्थित दफ्तर की जासूसी शुरू करा दी। जासूसों ने निक्सन की विरोधी पार्टी के दफ्तर में कॉल रिकॉर्डिंग के उपकरण लगा दिए, लेकिन कुछ दिनों बाद ये उपकरण खराब हो गए। इसके बाद 17 जून, 1972 की रात को पांच जासूसों ने फिर से उस दफ्तर में घुसने की कोशिश की, ताकि इन उपकरणों को ठीक किया जा सके। जब वो इन उपकरणों के तारों को जोड़ रहे थे, तभी वहां पुलिस पहुंच गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। अगले दिन अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ में गिरफ्तारी की खबर छपी और पूरा मामले का भंडाफोड़ हुआ। इस जासूसी विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि निक्सन को पद छोडऩा पड़ा।
ट्रंप पर राष्ट्रपति भवन छोडऩे के दौरान बक्सों में भरकर कागजातों को ले जाने का आरोप लगा था। उन बक्सों में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी थे। ट्रंप ने राष्ट्रीय अभिलेखागार के भी करीब 15 बक्सों को अपने पास रखा था। कार्रवाई की धमकी के बाद उसे वापस किया था। हालांकि, एक पूर्व राष्ट्रपति के आवास पर छापे को लेकर अब कई प्रकार की बातें होने लगी हैं। कहा जा रहा है कि एफबीआई के हाथ कोई अहम सबूत होगा, तभी वे जजों से सर्च वारंट हासिल करने में कामयाब हुए होंगे।
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